Description
माणिक्य का संबंध ग्रहों के राजा सूर्य देव से है। जिनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होती है, उनकी कुंडली में बाकी ग्रह बलवान होते हुए भी शुभ फल नहीं दे पाते। इसलिए सूर्य की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए माणिक्य पहनने की सलाह दी जाती है। संस्कृत में माणिक को पद्मराग और रविरत्न, वहीं अंग्रेजी में रूबी स्टोन कहा जाता है। भागदौड़ भरी जिंदगी में खुशहाली, स्थिरता और तरक्की के लिए माणिक्य धारण किया जाता है। इस रत्न के धारण करने से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है और नौकरी और बिजनस में अच्छी सफलता मिलती है।
माणिक रत्न के फायदे (Manik ratna ke fayde)
माणिक को रत्नो का राजा कहा जाता है। इसके सौंदर्य मूल्य के साथ-साथ भौतिक और आध्यात्मिक गुण इसे अत्यधिक मूल्यवान रत्न बनाते हैं। इतिहास कहता है कि यह अपने पहनने वाले के लिए धन और शक्ति लेकर आता है। इसके अलावा इस रत्न के अनेक फायदे कुछ इस प्रकार है:
- माणिक रत्न आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को बढ़ाता है। इससे पहनने वाले को नेतृत्व करने की शक्ति मिलती है, ये अधिकारिक पद पर पहुंचे में या सर्वोत्तम संभव तरीके से प्रबंधन संभालने में आपकी मदद करता है।
- यह रत्न अपने पहनने वाले की गतिशील शक्तियों, जैसे रचनात्मक कौशल, बौद्धिक कौशल और संचार कौशल को बढ़ाता है।
- माणिक रत्न का लाल रंग मेष राशि के लोगों के उग्र स्वभाव से पूरी तरह मेल खाता है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि मेष राशि के लोग अक्सर साहसी और निडर होते हैं। माणिक रत्न (manik stone) उनके मजबूत स्वभाव को बनाए रखने में मदद करता है। यह उन्हें कभी-कभी होने वाले संदेह या डर पर काबू पाने में मदद करता है। और इस तरह अंततः उनके लिए यह रत्न उनके काम में सफलता और समाज में प्रसिद्धि पाने में सहायक है।
किन लोगों को माणिक धारण करना चाहिए
मेष, सिंह और धनु लग्न के जातक माणिक धारण कर सकते हैं।
– कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में माणिक साधारण परिणाम देता है।
– अगर जातक को हृदय और नेत्र रोग है तो भी वह माणिक धारण कर सकता है।
– अगर धन भाव ग्याहरवां भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित हैं तो भी माणिक धारण कर सकते हैं।
माणिक धारण करने की विधि
माणिक गुलाबी या लाल रंग का होना चाहिए। सबसे अच्छा माणिक बर्मा देश का माना जाता है।
– माणिक का वजन कम से कम 6 से सवा 7 रत्ती का होना चाहिए।
– जातक माणिक को तांबा या सोने के धातु में धारण कर सकते हैं।
– माणिक रत्न को सूर्योदय होने पर स्नान करने के बाद धारण करें।
– माणिक धारण करने से पहले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें।
– उसके बाद मंदिर के सामने बैठकर एक माला सूर्य देव के मंत्र ओम सूर्याय नमः: का जप करें और फिर अंगूठी को धारण करें।
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