Description
GEMSTONE-SUNELA RATAN
COLOUR – YELLOW
WEIGHT -5.15 CARAT
SHAP – ROUND
RETURN POLICE – 10 DAYS MONEY – BACK RETURN
पुखराज का उपरत्न सुनेला, पीले-भूरे रंग का होता है। इस रत्न की चमक उगते सूरज के समान होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सुनेला रत्न गुरु ग्रह से संबंधित होता है। इसे पहनने से गुरु से संबंधित दोष दूर होते हैं, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है, निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है और सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ती है।
सुनहला रत्न के लाभ
- जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो पा रहा है या जिनका वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं चल पा रहा है, उन्हें सुनहला रत्न पहनने से फायदा होता है।
- पैसों से जुड़ी परेशानियों को दूर करने और संपन्नता को बढ़ाने के में भी पीले सुनहला रत्न की अंगूठी मदद करती है।
- सुखी दांपत्य जीवन के लिए गुरु के रत्न सुनहला को धारण कर सकते हैं।
- अगर आपको निर्णय लेने में परेशानी होती है तो सुनहला रत्न आपकी इस मुश्किल को हल कर सकता है। सुनहला पहनने से निर्णय लेने की क्षमता में सुधार आता है।
- बौद्धिक क्षमता एवं बुद्धि को बढ़ाने के लिए भी इस रत्न को धारण किया जाता है।
संतान की इच्छाओं को पूरा करने के इच्छुक माता-पिता सुनहला रत्न की अंगूठी पहन सकते हैं।
किन राशियों को पहनना होगा शुभ
- गुरु की राशि धनु और मीन राशि के जातकों को सुनहला रत्न पहनना शुभ होगा।
- ज्योतिषों के अनुसार मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु राशि के जातक भी सुनहला रत्न धारण कर सकते हैं। इस रत्न को धारण करने से इस राशि के जातकों को धन लाभ, मान-सम्मान और संतान की प्राप्ति होगी।
जिन जातक की कुंडली में गुरुदेव बृहस्पति अकारक हो उन्हें बिना ज्योतिष के सलाह के इस रत्न को धारण नहीं करना चााहिए। इससे हानि का सामना करना पड़ सकता है।
सुनहला रत्न धारण करने की विधि
- गुरुवार को प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजास्थल पर बृहस्पतिदेव का ध्यान करें।
- तांबे के पात्र या कटोरी में गाय का कच्चा दूध, शहद, घी, गंगाजल और तुलसी की पत्तियां लेकर इसमें सुनहला रत्न को डाल दें।
- अब ऊं ग्रां ग्रीं ग्रूं गुरुवे नम:’ इस मंत्र का कम से कम एक माला जप करें।
- अब सुनहला रत्न को निकालकर गंगाजल से साफ कर लें और बृहस्पतिदेव का ध्यान करते हुए धारण करें।
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